रक्षा के नाम पर युद्ध की शुरुआत होती है.
युद्ध शुरू करना बहुत आसान है, किंतु उसे खत्म करना कठीन है.
मन चालाकी करने के हेतु इस्तेमाल की जानेवाली वस्तू नहीं है.
सागर, सैनिक छावनी के बीच खो जाने के लिये नहीं है.
पांडित्य युद्ध का हथियार नहीं है.
हमें बनाना है, रक्षा करनी है, ऐसे रहने की जगह की, जहाँ हम स्वतंत्रता से विचार कर सकते हैं.
2018-05-10